December 4, 2025

भ्रामक खबरों के खिलाफ PCS अफ़सर डीपी सिंह करेंगे कानूनी कार्रवाई!!, समाचार पत्रों और पोर्टल संपादकों पर केस दर्ज करवाने की तैयारी!!

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NH74 प्रकरण पर पीसीएस अफसर डीपी सिंह को मिली क्लीन चिट इन दिनों अखबारों और न्यूज़ पोर्टल की सुर्खियां बनी हुई है..दरअसल मामले में शासन से जांचोपरांत आरोप मुक्त होने के बाद PCS अफ़सर को राहत भी दे दी गयी है.. लेकिन इसके बावजूद बिना डीपी सिंह का पक्ष जाने प्रकाशित हो रही खबरों को लेकर PCS अफ़सर की तरफ से कानूनी कार्रवाई किए जाने का मन बना लिया गया है। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि डीपी सिंह ने न केवल NH74 के विस्तारीकरण में अधिग्रहित भूमि के प्रतिकर मामले की पूरी जानकारी लिए बिना खबर प्रकाशित करने पर नाराजगी जताई है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को भी खबरों में नजरंदाज करने पर संदेह व्यक्त किया है. लिहाजा अब संबंधित समाचार पत्र और न्यूज़ पोर्टल के संपादकों के खिलाफ उनके द्वारा लीगल नोटिस देने के साथ ही कई करोड़ का डिफेमेशन केस फाइल करने का भी मन बनाया गया है।

 

शासन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पीसीएस अफसर डीपी सिंह ने हाई कोर्ट नैनीताल में मामले की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग की थी, और इसके लिए बाकायदा नैनीताल हाई कोर्ट में उनके द्वारा शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया गया था। इसके अलावा अनुशासनिक जांच में यह भी पाया गया था कि NH74 के विस्तारीकरण में भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई के दौरान उनके द्वारा करीब 500 करोड़ से ज्यादा का प्रतिकर बचाया गया.

 

आयकर विभाग द्वारा भी पीसीएस अफसर डीपी सिंह को क्लीन चिट दी जा चुकी है, इससे पहले साल 2017 में आयकर विभाग द्वारा की गई रेड की जांच आईटी एक्ट की धारा 142 (2A) के तहत शुरू की गई थी, लेकिन इसमें डीपी सिंह पाक-साफ निकले।

 

एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने भी इस प्रकरण के सामने आने के बाद अपनी कार्यवाही शुरू की थी। जिसमें न्यायालय में 7 प्रोजैक्यूशन कंप्लेंट दाखिल की गई थी.. इसके खिलाफ पीसीएस अफसर डीपी सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की.. जिसमें डीपी सिंह के द्वारा किए गए कार्यों को विधिक मानते हुए प्रकरण में अन्य आरोपियों के द्वारा किए कार्यो और विधि में दी गई व्यवस्था के अनुसार रिट याचिका को निरस्त कर दिया गया। इसके बाद पीसीएस अफसर डीपी सिंह ने पीएमएलए विशेष न्यायाधीश के न्यायालय में अपना पक्ष प्रस्तुत किया, जिसमें न्यायालय द्वारा पीएमएलए की धारा 45 के अंतर्गत साक्ष्यों के आधार पर “There are reasons for believing that accused is not guilty of such offence.” की टिप्पणी की गई।

 

इसके बाद डीपी सिंह के खिलाफ़ अनुशासनिक कार्रवाई में गढ़वाल कमिश्नर और SIT की जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन ने भी उनसे जवाब मांगा. जिस पर आरोपो से संबंधित साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए संबंधित को प्रतिउत्तर दिया गया। जिसके आधार पर शासन द्वारा नामित जांच अधिकारी ने अपनी जांच आख्या प्रस्तुत की। इसी जांच आख्या का परीक्षण अनुशासनिक अधिकारी द्वारा किया गया और कोई भी आरोप सिद्ध न होने के चलते डीप सिंह के खिलाफ चल रही अनुशासनिक कार्रवाई को समाप्त करने के निर्देश दिए गए, साथ ही न्यायालय में अभियोजन चलाने की स्वीकृति को भी निरस्त कर दिया गया। इन्हीं तथ्यों के आधार पर एक लंबी जांच और कानूनी प्रक्रिया को अपनाते हुए डीपी सिंह खुद पर लगे आरोपों को खुद से अलग करने में सफल रहे हैं। हालाकि अब उन्होंने किसी भी तथ्यहीन खबर पर कानूनी कार्रवाई के लिए कदम बढ़ाने का भी निर्णय ले लिया है और जल्द ही वह अपने वकीलों के माध्यम से कार्रवाई करने जा रहे हैं।

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